Thursday, February 24, 2011

Rosy Darling

मैं Rosy हूँ. Delhi की रहने वाली एक माध्यम वर्गीय परिवार से. मेरी उम्र २३ साल है. मेरे परिवार में मेरे पापा है जिनकी उमे ५०साल है, मम्मी की उम्र ४५ साल, छोटा भाई जिसकी उम्र २१ साल और छोटी बेहें की उम्र १९साल है. मैं एक travel कंपनी में काम करती हूँ. यहाँ पर मेरा काम client servicing है और इसकी वजह से मैं बहुत लोगों से मिलती हूँ और बहुत meetings के लिए मुझे travel भी करना पड़ता है. मैं अपने job से बहुत खुश हूँ और इसमें पैसा भी अच्छा है. अब हमारा परिवार माध्यम वर्गीय से उच्च वर्गीय परिवारों में आ गया है. 

धीरे धीरे मैं आपकी मुलाकात सबसे कराती जायुंगी. अब कुछ मेरे बारे  में. मेरा कद ५'६" है. रंग गोरा और तीखे नयन नक्श. बाल लम्बे और काले है जो मेरी कमर तक आते है. 36D-26-34 मेरा figure  है. तो आप अंदाज़ा लगा सकते है के मैं एक खूबसूरत जिस्म की मलिका हूँ. मेरी आँखें बड़ी बड़ी और गहरी है. मेरे job  profile की वजह से मैं अपना ख़ास ख्याल रखती हूँ. मेरा पूरा शारीर properly waxed  है.  कहीं पर भी बाल नहीं है. मैं ज़्यादातर western  dresses  ही पहनती हूँ. pants , shirt  और कई बार ऊपर coat. मेरे shirt  के हमेशा कम से कम ऊपर के २ बटन खुले होते है जिनसे मेरे बड़े boobs  का साइज़ आसानी से जाना जा सकता है. मेरी panty  और bra हमेशा stylish  रहती है. आप मेरी ब्रा का color  मेरी shirt के खुले बटन से अन्दर झांक के देख सकते है. जब मैं चलती हूँ तो मेरे बूब्स उचल उचल कर अपने बड़े होने का एहसास दिलाते है. कोई भी मुझसे बात करता है तो पहले उसकी नज़र मेरे बूब्स पर ही जाती है. यह जानते हुए भी मुझे बड़ा मजा आता है. कई बार तो आदमी बात मेरे से करता है और नज़र बूब्स पर होती है.

मेरे ऑफिस में मेरा अपना केबिन है जहाँ मैं काम करती हूँ और अपने clients से मिलती हूँ. ज़्यादातर मैं अपना केबिन बंद रखती हूँ क्योंकि मेरी बातें confidential  होती है और सब लोगों को उसमे involve  नहीं किया जा सकता.

आज भी मैं अपने केबिन में बैठी थी जब मनोज सर मेरे रूम में आये. मनोज सर मेरे बॉस है एंड मैं उनके ही निचे काम करती हूँ. मनोज सर ने रूम में आकर रूम का दरवाज़ा बंद किया और सीधा मेरी सीट पर आ गए. मैं कड़ी हुई और गले मिलकर उनका स्वागत किया. गले मिलते वक़्त मेरे बूब्स उनकी छाती से रगड़े जो उनको और मुझे बहुत पसंद है. गले मिलने के बाद हमारे लिप्स मिले और एक प्यारा सा smooch हमने किया.

"क्या बात Rosy आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो. तुम तो रोज़ निखरती जा रही ho" कहते हुए मनोज सर मेरे पीछे आ गए और पीछे से मेरे बूब्स पकड़ कर सहलाने लगे.

"आपको तो मैं हमेशा ही अच्छी लगती हूँ मनोज सर. पर आप भी कहाँ कम हो." मुझे उनके हाथ मेरे बूब्स पर अच्छे लग रहे थे.
धीरे से उन्होंने अपना हाथ थोडा और अन्दर कर मेरे ब्रा के ऊपर से बूब्स सहलाने लगे.

"क्या बात मनोज सर, आज सुबह सुबह गरम है क्या. कल रात बीवी ने नहीं चुदवाया क्या. आप तो बिना चोदे किसी भी रात नहीं सोते."
"और कल रात भी नहीं सोया यार बिने चोदे उसको. पर कभी कभी वोह थोड़ी ठंडी ही रहती है तो उतना मजा नहीं आता. और तुझे देखा तो लौड़ा फिर खड़ा हो गया. तभी मैंने सोचा के अभी फ्रेश ही एक छोटा सा रौंद मार लेते है. फिर तू भी बिजी ही जाएगी."
"आपके लिए मैं कब बिजी हुई मनोज सर." मैं घूमी और उनका चेहरा हाथ में लेकर उनके होंठ चूमने लगी. उनका हाथ मेरी पीठ पर से घूमता हुआ मेरी गांड पर आ गया जिसको वोह प्यार से मसलने लगे. उनके होठ चुमते हुए मेरे भी हाथ उनकी गंद पर आ गए जिसको में दबाने लगी. हम दोनों एक दुसरे से पूरी तरह चिपके हुए थे और उनके लौड़े का कडापन मुझे महसूस हो रहा था. वोह अब बुरी तरह से खड़ा था और pant फाड़ कर बहार आने को तैयार था.

"कोई मेरा इंतज़ार कर रहा है" मैं उनका लौड़ा सहलाते हुए बोली.
"यह तो हमेशा तेरे लिए तड़पता है रानी. देख कैसे तुझे खड़े होकर सलामी दे रहा है"
मैंने उनकी पेंट की जिप खोली और underwear से उनका ७" का लौड़ा बहार निकल लिए. सांवले रंग का उनका लौड़ा एकदम सख्त था और मेरी चुत फाड़ने को तैयार था. मैंने उनका लौड़ा बहार निकल उसको सहलाने लगी और सुपाड़े के ऊपर लंड के मांस को ऊपर निचे करने लगी. मनोज सर ने मेरी शर्ट खोल कर तब तक मेरी ब्रा खोल दी और मेरे बूब्स एकदम से बहार को छलक आये.

"मैं तेरे बूब्स का दीवाना हूँ rosy. मन करता है इनको हमेशा चूसता रहूँ." और वोह थोडा झुक कर मेरे निप्पल्स चूसने लगे. उनका हाथ मेरी चुत को मेरी पेंट के ऊपर से ही सहला रहा था.
मैं भी हद से ज्यादा गरम हो चुकी थी एंड छह रही थी के अब उनका लौड़ा मेरी चुत फाड़ दे.

"सर मैं भी आपके इस शानदार लौड़े की दीवानी हूँ और आप जानते है मैं हमेशा इससे चुदने को तैयार रहती हूँ. अब देर मत करिए और चोद डालिए मुझे. मैं तड़प रही हूँ आपके लौड़े के लिए."

"फिर देर किस बात की रानी, मेरा लौड़ा भी तड़प रहा है तेरी प्यारी चुत के लिए."

मुझे मनोज सर ने सोफे पर लेटाया और मेरी पेंट भी खोल कर निचे उतर दी. तब तक मैं उनकी शर्ट उतर चुकी थी और पेंट तो कबकी उनका साथ छोड़ चुकी थी. सर निचे झुक कर मेरी चुत मेरी पेंटी के ऊपर से चाटने लगे. मेरी चुत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी जिससे मेरी पंटी पूरी तरह भीगी हुई थी. मनोज सर मेरी चुत ऐसे चाट रहे थे जैसे बच्चा प्लेट चाटता है. फिर उन्होंने मेरी पेंटी भी उतर दी और और अब मेरी चुत पूरी तरह से खोल कर अपनी जीभ से उसको चाटने लगे. थोड़ी देर चाटने के बाद अपनी जीभ का उन्होंने गोला बनाया और मेरी चुत के अन्दर बहार डाल उसको जीभ से हो चोदने लगे. मैं तब तक पागल हो चुकी थी और उनके लौड़े के लिए तड़प रही थी. मैं थोड़ी देर अपनी गांड उछाल उछाल कर उनकी जीभ से चुदती रही पर अब लौड़े के बिना नहीं रहा जा रहा था.

"सर मुझे अब आपका लौड़ा चाहिए. मुझे चोदो, मेरी चुत फाड़ दो सर. हाय अब नहीं रहा जा रहा सर. आपकी रंडी अब पूरी तरह से गरम हो चुकी है."
"बस रानी अब और तुझे इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा" अपना मुह मेरी चुत से हटा कर मनोज सर बोले और खड़े होकर अपना लौड़ा मेरी चुत के छेद पर रख दिया. अब धीरे से अपनी का झटका दिया और लौड़ा छेद के अन्दर डाल दिया. अब धीरे धीरे धक्के देकर अपना लौड़ा मेरी चुत के आबदार डालने लगे. अब मनोज सर आगे झुक कर मेरे बूब्स अपने हाथों में ले लिए और धक्के के साथ साथ मेरे बूब्स भी मसलने लगे. अब उनका लौड़ा आधा अन्दर चला गया था. मैं भी अपनी गांड उछाल कर उनका साथ देना शुरू कर दिया. मनोज सर ने अब अपनी रफ़्तार बड़ा दी और एक झटके में पूरा लौड़ा अन्दर डाल दिया.

"आआआआआआआआआआआआआआआआअ और जोर से सर, और जोर से. चोदो अपनी कुतिया को चोदो. आह आह बहुत शानदार लंड है सर आपका. मेरे बूब्स भी जोर से मसलो सर. मेरे निप्पल्स चबाओ अपने दांतों से............"

"हाय मेरी रंडी इतनी गरम हो गयी. चिंता न कर आज तेरी चुत फाड़ देगा मेरा लौड़ा" और वोह और जोर से मेरी चुत के अन्दर बहार लौड़ा करने लगे. मैं गांड उछाल उछाल कर उनसे चुदाई का मजा ले रही थी. मेरी चुत अब किसी भी वक़्त पानी छोड़ने वाली थी. 

"हाय सर मैं झड़ने वाली हूँ, जोर से चोदो और पूरा लौड़ा डाल दो मेरी गीली चुत में."
मनोज सर अब और जोर से धक्के मारने लगे.

"आआआआआआआअ मैं भी झड़ने वाला हूँ."
और मनोज सर ने धक्को की रफ़्तार बड़ा दी.

"आआआआआआआआआअ झड गयी मैं सर........" मैं जोर से चिल्लाई और मेरी चुत से पानी बहने लगा. सर के धक्के अभी भी चालू थे और अब मेरी चुत से फर फर की आवाज़ आने लगी थी.
मनोज सर भी अब करीब ही थे झड़ने के और धक्के मारते मारते उन्होंने अपना लौड़ा मेरी चुत से बहार निकला और अपना सारा पानी मेरे मुह और बूब्स पर छोड़ने लगे. उनका लौड़ा हमेशा ही बहुत पानी छोड़ता है. मैंने अपना मुह खोल कर जितना उनके लौड़े का रस पि सकती थी पिया और बाकि अपने बूब्स और चेहरे पर मल लिया. झड़ने के बाद मनोज सर मेरे ऊपर ही लेट गए और मेरा उनके रस से भरा शरीर उनसे चिपक गया. वोह अपने हाथ से मेरे बूब्स सहलाने लगे और बिच बिच में उनके रस से भरे मेरे निप्पल्स चूस लेते थे.

उनका लौड़ा भी अब सिकुड़ कर छोटा हो गया था. मैं उसको हाथ में लेकर सहलाने लगी. मेरा हाथ उनके लौड़े पर लगे मेरे और उनके पानी से भर गया जिसको मैंने प्यार से चाट लिया और सर को भी चटाया.

" आपको अपना वीर्य कितना पसंद है सर. आप हमेशा उसको मेरे ऊपर से चाटते है"

"हाँ rosy, मुझे तेरा और अपना वीर्य हमेशा ही पसंद रहा है."

अब मनोज सर खड़े हुए तो मैंने उनका लौड़ा चाट कर साफ़ कर दिया.

फिर हम दोनों मेरे केबिन के बाथरूम में जाकर अपने शरीर को साफ किया और कपडे पेहेन कर पहले की तरह तैयार हो गए.

soundproof रूम की वजह से हमारी कोई आवाज़ बहार नहीं जा सकती थी और कोई अन्दर सोच भी नहीं सकता था की क्या हो रहा है. और मनोज सर एक फाइल लेकर ऐसे बहार निकल गए जैसे मीटिंग ख़तम कर के निकले हों.

दोस्तों... बताईयेगा आपको मेरी कहै की पहली किश्त कैसी लगी और मैं जल्दी आगे की कहानियां लिखूंगी.
आपकी ROSY