Thursday, February 24, 2011

Rosy Darling

मैं Rosy हूँ. Delhi की रहने वाली एक माध्यम वर्गीय परिवार से. मेरी उम्र २३ साल है. मेरे परिवार में मेरे पापा है जिनकी उमे ५०साल है, मम्मी की उम्र ४५ साल, छोटा भाई जिसकी उम्र २१ साल और छोटी बेहें की उम्र १९साल है. मैं एक travel कंपनी में काम करती हूँ. यहाँ पर मेरा काम client servicing है और इसकी वजह से मैं बहुत लोगों से मिलती हूँ और बहुत meetings के लिए मुझे travel भी करना पड़ता है. मैं अपने job से बहुत खुश हूँ और इसमें पैसा भी अच्छा है. अब हमारा परिवार माध्यम वर्गीय से उच्च वर्गीय परिवारों में आ गया है. 

धीरे धीरे मैं आपकी मुलाकात सबसे कराती जायुंगी. अब कुछ मेरे बारे  में. मेरा कद ५'६" है. रंग गोरा और तीखे नयन नक्श. बाल लम्बे और काले है जो मेरी कमर तक आते है. 36D-26-34 मेरा figure  है. तो आप अंदाज़ा लगा सकते है के मैं एक खूबसूरत जिस्म की मलिका हूँ. मेरी आँखें बड़ी बड़ी और गहरी है. मेरे job  profile की वजह से मैं अपना ख़ास ख्याल रखती हूँ. मेरा पूरा शारीर properly waxed  है.  कहीं पर भी बाल नहीं है. मैं ज़्यादातर western  dresses  ही पहनती हूँ. pants , shirt  और कई बार ऊपर coat. मेरे shirt  के हमेशा कम से कम ऊपर के २ बटन खुले होते है जिनसे मेरे बड़े boobs  का साइज़ आसानी से जाना जा सकता है. मेरी panty  और bra हमेशा stylish  रहती है. आप मेरी ब्रा का color  मेरी shirt के खुले बटन से अन्दर झांक के देख सकते है. जब मैं चलती हूँ तो मेरे बूब्स उचल उचल कर अपने बड़े होने का एहसास दिलाते है. कोई भी मुझसे बात करता है तो पहले उसकी नज़र मेरे बूब्स पर ही जाती है. यह जानते हुए भी मुझे बड़ा मजा आता है. कई बार तो आदमी बात मेरे से करता है और नज़र बूब्स पर होती है.

मेरे ऑफिस में मेरा अपना केबिन है जहाँ मैं काम करती हूँ और अपने clients से मिलती हूँ. ज़्यादातर मैं अपना केबिन बंद रखती हूँ क्योंकि मेरी बातें confidential  होती है और सब लोगों को उसमे involve  नहीं किया जा सकता.

आज भी मैं अपने केबिन में बैठी थी जब मनोज सर मेरे रूम में आये. मनोज सर मेरे बॉस है एंड मैं उनके ही निचे काम करती हूँ. मनोज सर ने रूम में आकर रूम का दरवाज़ा बंद किया और सीधा मेरी सीट पर आ गए. मैं कड़ी हुई और गले मिलकर उनका स्वागत किया. गले मिलते वक़्त मेरे बूब्स उनकी छाती से रगड़े जो उनको और मुझे बहुत पसंद है. गले मिलने के बाद हमारे लिप्स मिले और एक प्यारा सा smooch हमने किया.

"क्या बात Rosy आज तो बहुत सुन्दर लग रही हो. तुम तो रोज़ निखरती जा रही ho" कहते हुए मनोज सर मेरे पीछे आ गए और पीछे से मेरे बूब्स पकड़ कर सहलाने लगे.

"आपको तो मैं हमेशा ही अच्छी लगती हूँ मनोज सर. पर आप भी कहाँ कम हो." मुझे उनके हाथ मेरे बूब्स पर अच्छे लग रहे थे.
धीरे से उन्होंने अपना हाथ थोडा और अन्दर कर मेरे ब्रा के ऊपर से बूब्स सहलाने लगे.

"क्या बात मनोज सर, आज सुबह सुबह गरम है क्या. कल रात बीवी ने नहीं चुदवाया क्या. आप तो बिना चोदे किसी भी रात नहीं सोते."
"और कल रात भी नहीं सोया यार बिने चोदे उसको. पर कभी कभी वोह थोड़ी ठंडी ही रहती है तो उतना मजा नहीं आता. और तुझे देखा तो लौड़ा फिर खड़ा हो गया. तभी मैंने सोचा के अभी फ्रेश ही एक छोटा सा रौंद मार लेते है. फिर तू भी बिजी ही जाएगी."
"आपके लिए मैं कब बिजी हुई मनोज सर." मैं घूमी और उनका चेहरा हाथ में लेकर उनके होंठ चूमने लगी. उनका हाथ मेरी पीठ पर से घूमता हुआ मेरी गांड पर आ गया जिसको वोह प्यार से मसलने लगे. उनके होठ चुमते हुए मेरे भी हाथ उनकी गंद पर आ गए जिसको में दबाने लगी. हम दोनों एक दुसरे से पूरी तरह चिपके हुए थे और उनके लौड़े का कडापन मुझे महसूस हो रहा था. वोह अब बुरी तरह से खड़ा था और pant फाड़ कर बहार आने को तैयार था.

"कोई मेरा इंतज़ार कर रहा है" मैं उनका लौड़ा सहलाते हुए बोली.
"यह तो हमेशा तेरे लिए तड़पता है रानी. देख कैसे तुझे खड़े होकर सलामी दे रहा है"
मैंने उनकी पेंट की जिप खोली और underwear से उनका ७" का लौड़ा बहार निकल लिए. सांवले रंग का उनका लौड़ा एकदम सख्त था और मेरी चुत फाड़ने को तैयार था. मैंने उनका लौड़ा बहार निकल उसको सहलाने लगी और सुपाड़े के ऊपर लंड के मांस को ऊपर निचे करने लगी. मनोज सर ने मेरी शर्ट खोल कर तब तक मेरी ब्रा खोल दी और मेरे बूब्स एकदम से बहार को छलक आये.

"मैं तेरे बूब्स का दीवाना हूँ rosy. मन करता है इनको हमेशा चूसता रहूँ." और वोह थोडा झुक कर मेरे निप्पल्स चूसने लगे. उनका हाथ मेरी चुत को मेरी पेंट के ऊपर से ही सहला रहा था.
मैं भी हद से ज्यादा गरम हो चुकी थी एंड छह रही थी के अब उनका लौड़ा मेरी चुत फाड़ दे.

"सर मैं भी आपके इस शानदार लौड़े की दीवानी हूँ और आप जानते है मैं हमेशा इससे चुदने को तैयार रहती हूँ. अब देर मत करिए और चोद डालिए मुझे. मैं तड़प रही हूँ आपके लौड़े के लिए."

"फिर देर किस बात की रानी, मेरा लौड़ा भी तड़प रहा है तेरी प्यारी चुत के लिए."

मुझे मनोज सर ने सोफे पर लेटाया और मेरी पेंट भी खोल कर निचे उतर दी. तब तक मैं उनकी शर्ट उतर चुकी थी और पेंट तो कबकी उनका साथ छोड़ चुकी थी. सर निचे झुक कर मेरी चुत मेरी पेंटी के ऊपर से चाटने लगे. मेरी चुत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी जिससे मेरी पंटी पूरी तरह भीगी हुई थी. मनोज सर मेरी चुत ऐसे चाट रहे थे जैसे बच्चा प्लेट चाटता है. फिर उन्होंने मेरी पेंटी भी उतर दी और और अब मेरी चुत पूरी तरह से खोल कर अपनी जीभ से उसको चाटने लगे. थोड़ी देर चाटने के बाद अपनी जीभ का उन्होंने गोला बनाया और मेरी चुत के अन्दर बहार डाल उसको जीभ से हो चोदने लगे. मैं तब तक पागल हो चुकी थी और उनके लौड़े के लिए तड़प रही थी. मैं थोड़ी देर अपनी गांड उछाल उछाल कर उनकी जीभ से चुदती रही पर अब लौड़े के बिना नहीं रहा जा रहा था.

"सर मुझे अब आपका लौड़ा चाहिए. मुझे चोदो, मेरी चुत फाड़ दो सर. हाय अब नहीं रहा जा रहा सर. आपकी रंडी अब पूरी तरह से गरम हो चुकी है."
"बस रानी अब और तुझे इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा" अपना मुह मेरी चुत से हटा कर मनोज सर बोले और खड़े होकर अपना लौड़ा मेरी चुत के छेद पर रख दिया. अब धीरे से अपनी का झटका दिया और लौड़ा छेद के अन्दर डाल दिया. अब धीरे धीरे धक्के देकर अपना लौड़ा मेरी चुत के आबदार डालने लगे. अब मनोज सर आगे झुक कर मेरे बूब्स अपने हाथों में ले लिए और धक्के के साथ साथ मेरे बूब्स भी मसलने लगे. अब उनका लौड़ा आधा अन्दर चला गया था. मैं भी अपनी गांड उछाल कर उनका साथ देना शुरू कर दिया. मनोज सर ने अब अपनी रफ़्तार बड़ा दी और एक झटके में पूरा लौड़ा अन्दर डाल दिया.

"आआआआआआआआआआआआआआआआअ और जोर से सर, और जोर से. चोदो अपनी कुतिया को चोदो. आह आह बहुत शानदार लंड है सर आपका. मेरे बूब्स भी जोर से मसलो सर. मेरे निप्पल्स चबाओ अपने दांतों से............"

"हाय मेरी रंडी इतनी गरम हो गयी. चिंता न कर आज तेरी चुत फाड़ देगा मेरा लौड़ा" और वोह और जोर से मेरी चुत के अन्दर बहार लौड़ा करने लगे. मैं गांड उछाल उछाल कर उनसे चुदाई का मजा ले रही थी. मेरी चुत अब किसी भी वक़्त पानी छोड़ने वाली थी. 

"हाय सर मैं झड़ने वाली हूँ, जोर से चोदो और पूरा लौड़ा डाल दो मेरी गीली चुत में."
मनोज सर अब और जोर से धक्के मारने लगे.

"आआआआआआआअ मैं भी झड़ने वाला हूँ."
और मनोज सर ने धक्को की रफ़्तार बड़ा दी.

"आआआआआआआआआअ झड गयी मैं सर........" मैं जोर से चिल्लाई और मेरी चुत से पानी बहने लगा. सर के धक्के अभी भी चालू थे और अब मेरी चुत से फर फर की आवाज़ आने लगी थी.
मनोज सर भी अब करीब ही थे झड़ने के और धक्के मारते मारते उन्होंने अपना लौड़ा मेरी चुत से बहार निकला और अपना सारा पानी मेरे मुह और बूब्स पर छोड़ने लगे. उनका लौड़ा हमेशा ही बहुत पानी छोड़ता है. मैंने अपना मुह खोल कर जितना उनके लौड़े का रस पि सकती थी पिया और बाकि अपने बूब्स और चेहरे पर मल लिया. झड़ने के बाद मनोज सर मेरे ऊपर ही लेट गए और मेरा उनके रस से भरा शरीर उनसे चिपक गया. वोह अपने हाथ से मेरे बूब्स सहलाने लगे और बिच बिच में उनके रस से भरे मेरे निप्पल्स चूस लेते थे.

उनका लौड़ा भी अब सिकुड़ कर छोटा हो गया था. मैं उसको हाथ में लेकर सहलाने लगी. मेरा हाथ उनके लौड़े पर लगे मेरे और उनके पानी से भर गया जिसको मैंने प्यार से चाट लिया और सर को भी चटाया.

" आपको अपना वीर्य कितना पसंद है सर. आप हमेशा उसको मेरे ऊपर से चाटते है"

"हाँ rosy, मुझे तेरा और अपना वीर्य हमेशा ही पसंद रहा है."

अब मनोज सर खड़े हुए तो मैंने उनका लौड़ा चाट कर साफ़ कर दिया.

फिर हम दोनों मेरे केबिन के बाथरूम में जाकर अपने शरीर को साफ किया और कपडे पेहेन कर पहले की तरह तैयार हो गए.

soundproof रूम की वजह से हमारी कोई आवाज़ बहार नहीं जा सकती थी और कोई अन्दर सोच भी नहीं सकता था की क्या हो रहा है. और मनोज सर एक फाइल लेकर ऐसे बहार निकल गए जैसे मीटिंग ख़तम कर के निकले हों.

दोस्तों... बताईयेगा आपको मेरी कहै की पहली किश्त कैसी लगी और मैं जल्दी आगे की कहानियां लिखूंगी.
आपकी ROSY




Wednesday, October 21, 2009

mere parivar ki chudai 1

मैं और रजनी मनोज और राज के बीच में बैठे हुए थे जब पायल कमरे में आई. मैं मनोज के करीब थी और उसका ढीला लुंड सहला रही थी. मनोज ने अपनी उँगलियाँ मेरी चुत के अन्दर डाल अन्दर बहार कर रहा था. मैंने दुसरे हाथ से रजनी की चुत के अन्दर ऊँगली डाल राखी थी. रजनी ने अपने पापा का लौड़ा हाथ में लिया हुआ था जो रजनी के मुह में झड़ने के बाद थोडा शांत था. राज हलके से अपनी बाटी रजनी के बूब्स दबा रहा था और उसके निप्पल्स को उँगलियों के बीच मसल रहा था. रजनी बीच बीच में करह जाती थी जब राज जोर से उसके निप्पल्स खींच देता था.

चारों मदर्जात नंगे थे. पायल अभी स्कूल से ही आई थी और मनोज के देखते ही वोह भी उचल पड़ी.
"मामू, आप कब आये. मुझे मालूम ही नहीं था के आप भी आ रहे है" और पायल मनोज से चिपक गयी और उसके होठों को अपने होठों में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी. मनोज ने भी उसको अपनी बाहों में जकड लिया और उसके होठ चूसने लगा. २ मिनट के बाद जब पायल ने उसको छोड़ा तो उसने सांस ली.

"कैसे हो मामू, बहुत दिनों के बाद आये. और आने के बाद मेरा इन्तेज़ार भी नहीं किया. दोनों रंडियों के साथ लग गए. और पापा आपने भी मेरा इन्तेज़ार नहीं कराया मामू को. मेरे आने से पहले ही आप दोनों के लौडे इन रांडों ने चोद कर मुरझा दिए. अब मैं कैसे अपने प्यारे मामू के मोटे लुंड का मजा लुंगी. " कहते हुए पायल ने अपना मुह लटका लिए.

"tu क्यों चिंता कर रही है पायल, मामू तेरे इधर ही है और तेरे पास पूरा टाइम है उनके लुंड का मजा लेने का. और तू तो इन दोनों रांडों से भी बड़ी रांड है, अपने मामू का लुंड तू एकदम खडा कर देगी" राज ने कहा

" अब सिर्फ मैं आप दोनों को चोदूंगी इन दोनों रांडों का काम हो गया है ना... अब यह दोनों लुंड मेरे" और पायल दोनों हाथ फैला कर दोनों मुरझाये लुंड सहलाने लगी. पायल अभी भी स्कूल की ड्रेस में ही थी...सफ़ेद शर्ट और ग्रे स्कर्ट जो घुटनों के ऊपर तक थी और उसमे से उसकी मांसल जांघे झलक रही थी. पायल के बूब्स अभी इतने बड़े नहीं थे पर एकदम गदराये हुए थे. पायल का रंग बहुत गोरा है और निप्पल्स एकदम पिंक रंग के है. मनोज ने पायल को हम दोनों के बीच बैठा लिया और उसकी शर्ट के बटन खोलने लगा. सारे बटन खोलने के बाद शर्ट उतर उतार. तब तक मैंने उसकी स्कर्ट खोल कर निचे कर उतार थी और पायल अपनी गांड ऊपर कर मुझे उसको निचे करने दिया. अब पायल ब्रा और पैंटी में थी. सफ़ेद रंग की ब्रा में उसके बूब्स गज़ब लग रहे थे और पैंटी भी गीली हो गयी थी. उसकी चुत अभी से ही पानी छोड़ने लगी थी.

"पायल तू तो अभी से ही गीली हो गयी. अभी तो मामू ने कुत्च किया भी नहीं" मैं बोली",
"मामू को तो देखते ही मैं गीली हो जाती हूँ, क्या करूँ इनका जादू ही कुत्च ऐसा है"
मनोज ब्रेक ऊपर से ही पायल के बूब्स से खेलने लगा और अपना मुह दोनों बूब्स के बीच डाल पायल को चूमने लगा. पायल अब मनोज के लौडे को जोर जोर से हिला रही थी. उसका हाथ मनोज के लौडे को जकडे हुस ऊपर निचे हो रहा था. इतने में रजनी उठी और मेरी टाँगे खोल मेरी चुत चाटने लगी.
"माँ बहुत टाइम हुस तेरी चुत पर किसी का ध्यान ही नहीं गया. ला मैं तेरी चुत चाटू. तुझ कुतिया का भी तो ख्याल रखना है हम सबको और अभी तो तू जवान है, चाहे तो ३-४ लुंड एक साथ चोद सकती है."
"आआह्ह्ह्ह्छ रजनी, मेरी चुत हमेशा ही प्यासी रहती है रानी. तेरे पापा इतना छोड़ते है फिर भी मन करता है लुंड इसके अन्दर पड़ा ही रहे. कभी तो मन करता है घोडे जितना बड़ा लुंड मेरी चुत और गांड में हो."

राज को अब मैंने निचे कारपेट पर लेता दिया और उसका लौड़ा अपने मुह में ले लिया. रजनी उलटी होकर मेरी चुत चाटने लग गयी. पायल अभी भी मनोज के लुंड हाथ में लेकर ऊपर निचे हिला रही थी. मनोज अब उसकी ब्रा निकल चूका था और उसके छोटे पर सख्त बूब्स हाथों में लेकर सहला रहा था.
"है पायल तेरे बूब्स का तो जवाब नहीं. और तेरे निप्पल्स क्या गुलाबी है. इनको तो देखते ही किसी भी आदमी का लौड़ा खडा हो जाये मेरी रानी. देख तेरे मामू का लौड़ा कैसे फिर खडा हो गया मेरी रंडी भांजी के लिए. अब तझे ये लुंड चोद चोद कर तेरी चुत फाड़ देगा और तेरा मुह पूरा इस लुंड से भर दूंगा मेरी कुतिया रंडी."
'है मामू, क्या मस्त लौड़ा खडा किया है तुने मेरे लिए. पर पहले मेरे बूब्स दबा और चूस मेरे निप्पल्स. है मै मरी जा रही हूँ तेरे लौडे को अपनी चुत में लेने के लिए. मैं वैसे ही गरम हु और तू मुझे और गरम कर रहा है मादरचोद मामू. जैसे अपनी माँ को चोदता है हरामी की औलाद वैसे ही चोदना मुझे. और पापा तू मेरी गांड में डालना जब मामू मेरी चुत चोद रहा होगा. माँ पापा का लुंड खडा कर, मुझे इसको अपनी गांड में लेना है."
"रंडी तू चिंता मत कर, अगर एक और लुंड होता तो वोह तेरे मुह में डलवा कर तेरे सारे छेद भर देती. तेरे पापा तो कब से तेरा इन्तेज़ार कर रहे है. आज अब तेरी दो लंडों के साथ मस्त चुदाई होगी. चल रजनी मेरी चुत छोड़ और अपनी चुत पापा के मुह पर रख दे. उनको चूसने दे अपनी प्यारी बेटी की चुत. उनका लौड़ा और भी मस्त खडा होगा." मै बोली

रजनी ने मेरी चुत से अपना मुह निकला और जाकर राज के मुह पर बैठ गई.
"पापा चुसो अपनी बेटी की चुत. तुझे पसंद है न मेरी चुत का नमकीन स्वाद." और रजनी अपनी चुत राज के मुह पर रगड़ने लगी. राज भी अपनी जीभ निकल कर उसकी चुत चोदने लगा. रजनी उचल उचल कर राज के मुह पर अपनी चुत छोड़ रही थी. उसके बूब्स उचल कर इधर उधर जा रहे थे. मेरे मुह में राज का लौड़ा अब पूरी तरह खडा था और किसी भी छेद को चोदने को तैयार था. उधर पायल भी अब पूरी नंगी हो चुकी थी और मनोज का लौड़ा अपने मुह में ले उसको चूस रही थी. मनोज उल्टा होकर उसकी गुलाबी चुत चाट रहा था और अपनी उँगलियाँ अन्दर बहार कर रहा था. पायल गांड उचल उचल कर उसकी उँगलियाँ अन्दर ले रही थी.

"हाँ मामू, पूरी ऊँगली डाल मेरी चुत में... चोद मुझे कुत्ते...चोद हरामी...अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ"
और पायल ने फिर मनोज का लौड़ा अपने मुह में ले लिया. थोडी देर तक चूसने के बाद पायल अब तैयार थी चुदाई के लिए. पायल ने मनोज का लौड़ा बहार निकला और बोली "चल अब शुरू कर मेरी चुदाई. डाल अपना मोटा लुंड मेरी गरम गीली चुत में और फाड़ दे इसको. पापा, तू भी आ और चोद मेरे मुह को. देख तेरी रांड बेटी कैसे चुस्ती है तेरा लुंड साले हरामी मादरचोद. तुम रंडियां तब तक एक दुसरे की चुत चाटो"

राज उठा और अपना लौड़ा पायल के मुह पर ले गया जिसे उसने लपक कर अपने मुह में भर लिया. मनोज ने भी पायल की टाँगे खोली और उसकी गीली चुत मैं अपना लुंड भर दिया. अब दोनों जोर जोर से धक्के मार रहे थे और पायल को कुतिया की तरह चोद रहे थे. ५ मिनट के ज़बरदस्त धक्को के बाद दोनों झड़ने लगे तो दोनों ने अपने लुंड बहार निकले और पायल उस मुह पर पिचकारी छोड़ने लगे. पायल के पूरा चेहरा भीग गया दोनों के वीर्य से जिसको वोह मजे लेकर चाट रही थी. पूरी तरह झड़ने के बाद उसने दोनों लौडे अपने मुह में एक साथ लिए और चाट चाट कर उनको साफ़ कर दिया. फिर पापा के मुह में जीभ डाल उनको चूमा और अपने मुह में भरा दोनों का वीर्य राज के मुह में डाल दिया. राज चटकारे लेकर उसको पि गया.

"वह मजा आ गया जीजू तेरी बतियों और बीवी को चोद कर. साली मस्त रंडियां है. इनको तो तू नंगा ही रखा कर घर पर."
"यार यह रहती ही नंगी है. कई बार तो अकेले मुझे इन तीनो को चोदना मुश्किल हो जाता है. अगर एक दो लुंड और होते तो मजा आ जाता. इन रांडो को तो जितने लुंड देदो उतने कम है"
"हम रंडियों की जय हो.... मैं बोली और मनोज का लुंड फिर चूम लिया....

दोस्तों अभी और भी है आगे...

चुदाई मेरे परिवार की

दरवाज़े पर घंटी बजते ही मैंने दरवाज़ा खोला भैय्या आए थे....
"अरे भैय्या आप... कैसे है... आइये"
भैय्या ने ज़ोर से मुझे बाँहों के बिच जकडा और मेरे होठों को चूम लिया और मेरे बूब्स को दबाने लगे
"ऋतू तेरे बूब्स हमेशा की तरह अभी भी मस्त टाइट है"
"मेरे बूब्स माँ पर गए है ना... उनके भी तो अभी तक टाइट है"
"हाँ, माँ अभी तक मस्त है और उनके जैसे बूब्स कम ही देखने को मिलते है"

बात
करते करते हम सोफे पर बैठ गए मैंने बैठते ही भइया की पंट खोल दी और उनका लौड़ा बहार निकल दिया और उसको सहलाने लगी भैये मेरे बूब्स ब्रा से बहार निकल चुके थे और अब मेरे निप्प्लेस चूस रहे थे उनका लौड़ा एकदम सख्त था और पुरा 8" खड़ा था मैंने धीमे से अपने बूब्स उनसे छुडाये और उनका लुंड चूसने लगी पहले उनके लाल मोटे सुपदे को चूसा और फ़िर पुरा लौड़ा अपने मुह में लेकर चूसने लगी मेरे हाथ उनके बाल्स को सहला रहे थे और भैय्या मेरे बूब्स को मसल रहे थे

तभी
मेरे पति राज भी गए वोह भैय्या के पास सोफे पर ही बैठ गए
" हे मनोज तू कब आया"
भैय्या ने अपना हाथ मेरे बूब्स से हटा कर राज से हाथ मिलाया "बस अभी ही आया हूँ जीजू आप बताईये कैसा चल रहा है"
"बडिया मनोज सब ठीक है तू बता घर पर सब कैसे है"

मैं
अभी भी भैय्या का लौड़ा और बाल्स चूस रही थी और भइया ने राज से हाथ मिलाने के बाद फ़िर अपना हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और दोनों बूब्स फ़िर से मसलने लगे
"सब ठीक है जीजू माँ बापू और मनीषा सब मजे मैं है"

मनीषा
राज की बीवी है राज मुझसे उम्र में १० साल छोटा है मेरी उम्र अब ४० की है और राज ३० साल का और उसकी बीवी मनीषा २७ साल की
"हाँ मनोज सबसे मिले काफ़ी दिन हो गए, जल्दी आयूंगा सबसे मिलने"
" हाँ जीजू सब आपको याद भी बहुत करते है एक दिन सब प्रोग्राम बना कर आईये ना"

मैं
अब भैय्या का लौड़ा छोड़ कर उठी वोह अभी तक सख्त था आर उसने पानी भी नहीं छोड़ा था मैं राज और मनोज के बिच बैठ गई बूब्स मेरे अभी तक बहार झूल रहे थे पास बैठते ही भैय्या ने मेरी स्कर्ट ऊपर उठा दी और मेरी छुट पर अपना हाथ फेरने लगे राज ने भी मेरे बूब्स सहलाने शुरू कर दिए

"ऋतू तुने मनोज का लौड़ा ऐसे ही छोड़ दिया उसका पानी नहीं निकला। अब मनोज को तकलीफ होगी कैसी बहिन है तू"
"राज मैंने जान बुझ कर लौड़ा बिना पानी निकले छोड़ दिया ... तू तो जानता है रजनी को ... उसको भैय्या का लौड़ा बहुत पसंद है अभी वोह आती ही होगी"
"ओक्क्क पर रजनी है कहाँ ... दिखी नहीं सुबह से" ... राज बोला
"वोह अभी कमरे में ही थी... अभी वोह अपनी झांटे साफ़ कर हठी थी मैं अभी उसकी छूट चाट कर आई ही थी के भइया गए"
राज ने मनोज का लुंड देखा और बोला... "साले साहब थोड़ा और इंतज़ार करिए अपने लौडे की पुरी प्यास बुझाने में

रजनी
मेरी बड़ी बेटी है जिसकी उम्र १८साल की है बी काफ़ी भरा है और बूब्स मेरे जैसे बड़े बड़े और गोल गोल है उसके निप्प्ल्स मेरे से भी बड़े है और जब खड़े होते है तो देखने का मजा जाता है राज तो उसके निप्प्ल्स ही चूसता रहता है... कहता है ऐसे निप्प्ल्स नसीब वालों को मिलते है और सच भी है रजनी जैसी सुंदर लड़की बहुत ही कम होती है.

मेरी छोटी बेटी का नाम पायल है और उसकी उम्र १५साल हैवोह भी एकदम मस्त हैउसके बूब्स अभी भर रहे है पर जैसे हमारे परिवार में सबके बड़े बूब्स है उसके भी अभी से काफ़ी बड़े हो गए है

"जीजू, दीदी के बूब्स अभी तक पहले जैसे ही मस्त हैजब भी इनको चुस्त हूँ तो मेरा मस्त खड़ा होता हैरजनी पहले मेरा लौदा चूस ले फ़िर मैं दीदी के बूब्स की चुदाई करूँगाबहुत टाइम हो गया ऋतू के बूब्स की चुदाई किए हुएकल पापा जब मनीषा के बूब्स चोद रहे थे तो दीदी की याद आ गयी. तभी मैं आज चला आया"
"मनोज, ऋतू के बूब्स भी मम्मी पर गए है. क्या उनके अभी तक ६० साल की उम्र में मस्त नहीं है. तने भी तो काफी चुदाई की है मम्मी की, तू तो जानता ही है"
"हाँ जीजू, मम्मी को तो अब भी चोदने में उतना ही मजा आता है जितना पहले आता था"

इतने में रजनी आ गयी कमरे में. उसने टी-शर्ट और स्कर्ट पहनी थी. साफ़ दिख रहा था निचे ब्रा नहीं है और पक्का था के पैंटी भी नहीं पहनी होगी. मनोज को देखते ही वोह एकदम चेहेक उठी.
"माअमूऊ, आप कब आय... और मुझे किसी ने बताया ही नहीं" और रजनी मनोज से लिपट गयी और उसके होठों को चूसने लगी. और बिना इंतज़ार किये मनोज का खडा लुण्ड हाथों से सहलाने लगी. और एकदम से सरक कर निचे आ गयी और मनोज का लुण्ड अपने मुह में भर लिया और भूकी कुतिया की तरह उसको चूसने लगी. उसको देख हमारी एकदम हंसी छुट गयी. मनोज ने भी उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसके बूब्स अपने हाथों में भर लिए और प्यार से सहलाने लगा. रजनी भी जोर जोर से मनोज का लौड़ा चूस रही थी. राज ने अब अपना हाथ मेरी चुत पर ले गया और अपनी ऊँगली मेरी चुत के अन्दर बहार करने लगा. मैंने भी राज का पजामा खोल निचे कर दिया और उसका काला मोटा लौड़ा बहार निकल लिए और हाथ में लेकर उसकी धीरे से मुठ मारने लगी. रजनी ने मनोज की पंट अब पूरी ऊपर से खल के निचे सरका दी. मनोज ने भी अपनी गांड उठा उसको आसानी से उतर जाने दिया. अब   मनोज पूरा निचे से नंगा था और रजनी का सर उसकी जांघो के बिच उसके लुण्ड को चूस रहा था. मनोज ने अपने आप ही अपनी शर्ट भी उतर दी और एकदम नंगा हो गया. वही रजनी ने मनोज का लुण्ड चूसते चूसते अपनी स्कर्ट निचे सरका दी और वोह भी पूरी नंगी हो गयी. राज भी रजनी को देख और ज्यादा गरम हो गया और मुझको सोफे से निचे उतर मेरे मुह में अपना घोडे जैसा लौड़ा अन्दर दे दिया. राज का लौड़ा कसते हुए मुझे इतने साल हो गए थे पर अब भी मुझको पूरा मजा देता था. राज ने मेरे बाल पकड़ कर आगे पीछे मेरा सर करते हुए मेरा मुह चोदने लग गया.

"जिजु जोर से चोदो दीदी का मुह. आपका लौड़ा दीदी के मुह में देख कर मजा आ जाता है. दीदी जैसे लोल्लिपोप की तरह चुस्ती है वैसे ही रजनी भी परफेक्ट हो गयी है."
"मनोज रजनी की तो चुत भी अभी टाइट है. मुझे रजनी का मुह और चुत दोनों चोदने में मजा आता है. और ऋतू तो मस्त रांड है. जब चाहो इसको तं चोद सकते हो. हमेशा गीली रहती है."
अब हम दोनों माँ बेटी का मुह चोद रहे थे और जोर जोर से धक्के मार रहे हे. इतने में मनोज का पानी निकलने तो तैयार हो गया और वोह और जोर से धक्के मारने लगा. और २मिनत बाद ही उसने अपना पानी रजनी के मुह के अन्दर डालना शुरू कर दिया.
"आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रजनी मै झाडा. ले मेरा पानी अपने मुह में मेरी रांड. पि ले मामू का रस."
रजनी ने मनोज के लुण्ड का पानी पिने लगी और फिर मुह से निकल अपने चेहरे पर मनोज के रस की धार ली. मनोज का लुण्ड भी उचल उचल कर रस निकल रहा था. रजनी का चेहरा पूरा मनोज के रस से भर गया और मुह से भी टपक रहा था. पूरा रस ख़तम होने के बाद रजनी ने मनोज का लौड़ा अच्चे से चूसा और साफ़ कर दिया. मैं एक तरफ राज का लौड़ा चूस रही थी और दूसरी तरफ रजनी को तृप्त होते हुए देख रही थी. लौड़ा साफ़ करने के बाद रजनी ने अपनी जीभ मनोज के मुह में दाल उसको चूमने लगी. और मनोज भी जम के उसके वीर्य से भरे मुह को चूम रहा था. फिर रजनी मनोज के ही पास बैठ गयी और मुझे राज का लौड़ा चूसते देखने लगी. राज ने अपना हाथ बड़ा रजनी के बूब्स मसल दिए और उसकी चुत में ऊँगली करने लगा. रजनी ने अपने पापा राज की ऊँगली चुत से निकाली और अपने मुह के अन्दर लेली और उसको चूसने लगी. रजनी बुरी तरह से गीली थी और मैं जानती थी के उसको मोटे लुण्ड की ज़रुरत है अब. मैंने अपना सर राज की जांघो से निकला और वही राज के ही पास बैठ गयी.

"तू रजनी मामू को एक minute भी aaram नहीं करने deti. अभी तो aye ही थे और tune उनको jhaad दिया."
"अब मामू का लौड़ा ही इतना प्यारा है के रहा ही नहीं जाता. मेरा तो मन करता है हर वक़्त इसको चुस्ती rahu. देखो अब कैसा maje से leta है jhadne के बाद. "
"तेरी भी चुत पूरी तरह से गीली है. चल तू मेरे laude पर बैठ और चोद ले अपनी चुत, bujha ले iski pyas" राज bola
"पापा apka लौड़ा माँ ने मस्त खडा कर दिया है चूस चूस कर lao अब मै iski seva करती हूँ."
और रजनी राज के लौडे पर बैठ गयी और उसका लौड़ा अपनी चुत के अन्दर दाल लिया और उचल उचल कर चुदाई करने लगी. मैं मनोज के पास बैठ गयी और उसका मुरझाया हुआ लौड़ा सहलाने  लगी. मनोज ने अपना मुह मेरे बूब्स में दाल उनको चूसने लगा. राज अब जोर जोर से अपनी बेटी रजनी की चुत में धक्क्मार रहा था.
"हाँ पा और जोर से. चोदो मुझे पापा.... फाड़ दो मेरी चुत. चोदो अपनी रांड बेटी को... चोदो पापा ... चोदो... आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह"
अब राज ने रजनी को सोफे पर लिटा लिया और जोर जोर से उसको चोदने लगा. थोडी ही देर में रजनी झड़ने को तैयार थी और राज से उचल उचल कर चुदने लगी.
" मैं जड़ी पापा...... आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..... और रजनी की चुत ने पानी छोड़ दिया. मनोज लपक कर्रज्नी की चुत पर गया और राज के लुण्ड से भरे हुए रजनी की चुत चाटने लगा. ऐसे में मनोज राज का लुण्ड भी चाट रहा था और रजनी की चुत का पानी भी पि रहा था. राज भी धक्के मारता हुआ अब झड़ने को तैयार था. उसने अपना लौड़ा रजनी की चुत से बहार निकला और उसके मुह में दाल दिया.
"le मेरी रांड बेटी चूस अपने पापा के लुण्ड को और निकल इसका पानी. ले कुतिया चूस ... और राज ने अपना पूरा लौड़ा रजनी की चुत में पेल दिया. मनोज अभी भी रजनी की चुत का पानी चाट रहा था. इतने में राज ने भी अपना पानी छोड़ दिया और लुण्ड बहार निकल उसका पूरा चेहरा अपने वीर्य से भर दिया. राज का वीर्य अब भी गाडा और बहुत सारा निकलता था. रजनी का पूरा चेहरा राज के वीर्य से भर गया. मैंने मनोज को देखा और वो अभी भी रजनी की चुत में मस्त था. राज पूरा पानी रजनी के चेहरे पर छोड़ने के बाद अपना लुण्ड फिर उसके मुह में दाल दिया और रजनी ने उसको चाट कर साफ़ कर दिया.
अब राज रजनी के पास ही सोफे पर बैठ गया. मैं उठी और रजनी के चेहरे से राज के गाडे वीर्य को चाट कर साफ़ करने लगी. रजनी ने मेरे बूब्स अपने हाथों में भर लिए और जोर जोर से उनको दबाने लगी. मैंने उसका पूरा मुह साफ़ किया और वही सोफे पर बैठ गयी.
raj और मनोज अब पूरी तरह से तृप्त नज़र आ रहे थे रजनी को छोड़ने के बाद. दोनों के लुण्ड अब मुरझा गए थे. मनोज भी रजनी का पानी पि और मस्त हो गया था.
"वाह रजनी तेरी चुत का पानी क्या स्वादिष्ट है. मुझे हमेशा पसंद आता है"
"मामू आपके लिए तो यह चुत हमेशा तैयार है... जब चाहो चोदो और इसका पानी पियो"

हम चरों बैठे ही थे के पायल भी वहां आ गयी.......
अगली कहानी का इंतज़ार करें... और बताईये यह कैसी लगी