हेल्लो दोस्तों
मेरा नाम निधि है। और यह मेरे परिवार की कहानी है। मेरी ससुराल की। मेरी शादी को ६ महीने हो गए है अब। मेरे परिवार में मेरे सास, ससुर, देवर और उसकी बीवी और ननद और उसका पति हैं। मेरी ननद और ओका पति हमारे ही साथ रहना पसंद करते है, और क्यों यह आपको जल्दी पता चल जाएगा।
मैं कहानी की शुरुआत अपनी शादी की पहली रात से करती हूँ। सब गाजे बाजों के बाद मेरी डोली घर आई। में अपने रूम में बैठी अपने पति राज का इंतज़ार कर रही थी। राज एक बहुत ही सुंदर नौजवान है। तक़रीबन ६ फ़ुट कद और बलिष्ठ शरीर है उसका। रंग गोरा और घुंगराले बाल। में तो पहली नज़र में ही प्यार करने लगी थी राज से।
मैंने लाल रंग की लहंगा चोली पहनी हुई थी और बेद पर बैठ राज का इंतज़ार कर रही थी। तभी दरवाज़ा हलके से खुला और राज शादी की शेरवानी में अन्दर आ गया।
- हेल्लो निधि, कैसी हो...
- हेल्लो राज। ठीक हूँ। नई नई शादी शुदा दुल्हन हूँ तो शर्मा कर बैठी हूँ।
- हा हा हा... वोह में भी देख रहा हूँ।
- राज... सुहागरात पर क्या होता है। मैंने कभी सुहागरात नहीं मनाई।
- अच्छा जी, तो जो हम अब तक कर रहे थे वोह क्या था।
- वोह तो हम वैसे ही चुदाई कर के देख रहे थे के हम कैसे है। वैसे राज तेरा लुंड बड़ा ही मस्त है। तुझसे चुदने के बाद ही मैंने फ़ैसला किया के तुझसे शादी करुँगी।
- तू भी बहुत मस्त बंदी है निधि। तेरी जैसी चुद्दकद लड़की मैंने कभी नहीं चोदी।
- और अब तो हम शादी शुदा मियां बीवी है। कोई रोक टोक नहीं हमारी चुदाई में।
अब राज मेरे बगल में ही बैठा था। उसने अपनी शेरवानी उतर दी थी और उसका मज़बूत शरीर मेरे सामने था। मेरे पास बैठ कर उसने मुझे बाँहों में भर लिए और मेरा मुह चूम लिया। धीरे से उसने अपनी जीभ मेरे मुह के अन्दर दाल दी और चरों तरफ़ फिरने लगा। उसके हाथ मेरे बूब्स को चोली के ऊपर से ही सहला रहे थे। मेरा हाथ भी राज की छाती से होता हुआ उसके पजामे के ऊपर आ गया और उसके लुंड को में सहलाने लगी। राज का लुंड एकदम तन्नाया हुआ खड़ा था। मैंने उसके पजामे का नाडा खोल दिया और राज ने अपनी गांड ऊपर उठाई तो मैंने पजामा निचे सरका दिया। राज भी अब तक मेरी चोली उतर चुका था और ब्रा के हुक खोल दिए थे। मैंने भी अब उसका अंडरवियर उतर कर लुंड अपने हाथ में लेकर मसलने लगी। और राज मेरी ब्रा उतरने के बाद मेरे बूब्स को सहलाने लगा।
- है राज... क्या मस्त लुंड खड़ा है तेरा। क्या मैंने इसे खड़ा किया है।
- और क्या मेरी रानी, तेरी जवानी देख कर ही टी यह खड़ा हो गया है। तेरे बूब्स का तो मैं दीवाना हूँ निधि। क्या मस्त बड़े मदे और रसीले बूब्स है तेरे। ला पहले इनको चूसने दे।
और राज एक हाथ से मेरे बूब्स सहलाने लगा और अपना मुह से मेरे निप्प्लेस चूसने लगा। दूसरा हाथ से उसने मेरी सलवार खोल कर उतर दी और मेरी छुट को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा। मेरी छुट बुरी तरह गीली हो चुकी थी। राज का हाथ धीरे से मरी पैंटी के उंदर गया और मेरी छुट में ऊँगली करने लगा। मैं अभी भी उसके लौडे को सहला रही थी। राज ने मेरी पैंटी निचे किसका दी और उसका हाथ अब मेरी छुट को तेजी से सहला रहा था। मैं और राज अब दोनों ही पुर तरह नंगे थे। राज का ७ इंच का लौदा मेर हाथ में उचल रहा था और मेरा मन उसको मुह में लेने का हो रहा था।
- राज मुझे तेरा लौदा चुसना है। इतना बड़ा लौदा लेकर मेरा मुह मस्त हो जाएगा।
- तो ले न रानी, तुझे कब मन है। यह अब तेरा ही तो लौदा है। रुक मैं तेरी छुट चुसुंगा और तू मेरा लौदा चूस। हम दोनों ६९ पोसिशन में आ जातें हैं।
और राज उल्टा होकर मेरी छुट चाटने लगा और अपना लौदा मेरे मुह में दे दिया। उसका गुलाबी लुंड मेरे मुह के अन्दर बहार होने लगा। रा अपनी जीभ से मेरी छुट चाटने लगा। अपनी उँगलियों से उसने मेरी छुट का दरवाज़ा खोला और अपनी पुरी जीभ मेरी गीली छुट के अन्दर दाल कर चूसने लगा। मैं भी राज का पुरा लौदा अपने मुह में दाल चूस रही थी। बिक बिच में लुंड को निकल मैं उसके तत्ते चाटने लगती। राज ने अपना लुंड से बाल एकदम साफ़ किए हुए थे। और मेरी भी छुट एकदम चिकनी थी जिस्पा एक भी बाल नहीं था।
- हईई राज छोड़ मेरी छुट अपने जीभ से। देख किस गीली है।
- हाँ निधि पहले इसको जीभ से चोदुंगा और फिर अपने मोटे लुंड से।
राज के लुंड से उसके वीर्य भी टपकने लगा था जिसको मैंने चाट लिया।
- राज तेरा वीर्य बड़ा स्वाद है। तुने पहले कभी नहीं चखाया।
- अब जितना चाहेगी उतना मिलेगा निधि। चिंता मत कर
अब राज ने मुझे बिस्तर पर लेटाया और अपना लुंड मेरी छुट के darwaze पर रख दिया और एक ही झटके में पुरा का पुरा अन्दर दाल दिया।
- हाआआआआईईईईईईईइ मजा आ गया राज। ज़ोर से छोड़ मुझे। अपनी रंडी बीवी को छोड़ ज़ोर ज़ोर से।
- आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निधि तेरी छुट अभी भी टाइट है रानीमेरा लुंड भी मस्त हो गया तेरी छुट पाकर।
अब राज ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा। मेरी छूट अब जम कर पानी छोड़ रही थी। राज के भी धक्के अब तेज़ होते जा रहे थे।
- आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह निधि मेरा छुटने वाला है।
- राज अपनावीर्य मेरे मुह पर छोड़। मुझे तेरे वीर्य में नहाना है। और तेरा वीर्य पीना है। बहुत स्वाद है तेरा वीर्य।
राज ने अ अपने धक्के और तेज़ कर दिए और एक झटके में अपना लुंड निकल मेरे मुह की तरह कर दिया। मैंने राज का लुंड अपने मुह में ले लिया और अपने पानी से भरा लुंड चूसने लगी। और जैसे ही लगा के वोह अब छुटने वाला है, उसका लुंड हाथ में लेकर मुठ मरने लगी। २ ही सेकंड में राज के लुंड ने पानी की पिचकारी मेरे मुह पर डालनी सुरु कर दी। और मेरा पुरा मुह उसके वीर्य से भर गया। मैंने अपने हाथ से उसको पहले अपने चेहरे पर फैला दिया और फ़िर ऊँगली से अपने मुह के अन्दर डालने लगी
- मजा आ गया निधि ऐसी चुदाई के बाद। तू मस्त रंडी है रानी।
- मैं भी मस्त हो गई तेरा लुंड पाकर राज। मेरी छुट न कभी भी इतना पानी नहीं चोदा।
राज मेरी बगल में आकर लेट गया और मेरा मुह चूमने लगा जिसपर अभी भी उसका वीर्य लगा था। और हलके से मेरे बूब्स सहलाने लगा। मैंने उसका मुरझाया लुंड अपने हाथ में सहलाने लगी।
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अभी हम लेते ही थे के हमारा दरवाज़ा खुला। और मेरा देवर नीरज अपनी बीवी मनीषा के साथ अन्दर आ गया।
अभी हम लेते ही थे के हमारा दरवाज़ा खुला। और मेरा देवर नीरज अपनी बीवी मनीषा के साथ अन्दर आ गया।
- वूऊऊव्व्व्व तो सुहागरात मनाई गई है .... नीरज बोला जो अपनी बीवी के साथ एकदम ही नंगा था।
नीरज का लुंड मुरझाया हुआ था अभी पर फिर भी राज के लुंड के जैसे ही लंबा और मोटा लग रहा था। मनीषा के बूब्स बड़े बड़े और गोल गोल थे और सबसे प्यारे उसके गुलाबी निप्प्लेस थे जो एकदम खड़े थे।
राज मुझे अपने परिवार के बारे में पहले ही बता चुका था के यहाँ सब खुला है और इसलिए मुझे हैरानी नहीं हुई। हम आराम से वैसे ही लेटते रहे, अभी भी राज मेरे बूब्स सहला रहा था और उसका लुंड मेरे हाथ में था।
- आओ नीरज भैय्या, आपके बिना सुहागरात कैसे पुरी हो सकती है। आओ मनीषा तुम भी। वो नीरज भैय्या, मैं आपको पहली बार नंगा देख रही हूँ और आप भी अपने भाई से कम नहीं हो। और मनीषा की जवानी भी मस्त लग रही है।
- भाभी मनीषा भी आपके साथ सुहागरात का मजा लेना कहती थी तो हम यहीं चले आए... नीरअज बोला।
- अरे आ न नीरज, हमें भी और मजा आएगा। मैं अभी ही तेरी भाभी को चउद कर हाथ हूँ।
नीरज मेरे बगल में आकर लेट गया और मेरा मुह चूमने लगा। मनीषा राज की टांगो के बिच बैठ गई और उसका लुंड अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी।
- भाभी, राज ने अपना वीर्य तेरे मुह पर डाला था। अभी तक उसके वीर्य का स्वाद है तेरे चेहरे पर... नीरज बोला
- हाँ भैय्या, मुझे राज का वीर्य अपने चेहरे पर बहुत अच्छा लगता है। तू भी अपना वीर्य मेरे ऊपर ही डालना।
- हाँ भाभी, मुझे भी वीर्य अपने ऊपर पसंद आता है... मनीषा बोली और राज का लुंड फ़िर चूसने लगी।
- देखा भाभी मनीषा बिल्कुल भी वक्त ख़राब नहीं करती। आते ही अपने काम पे लग गई है.... नीरज बोला
मनीषा अपना सर अब ज़ोर से ऊपर निचे कर राज का लुंड चूस रही थी। राज का लुंड फ़िर खड़ा हो चुका था और वोह मनीषा के बूब्स ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था। मैं भी नीरज का लुंड हाथ में लेकर उसको ऊपर निचे करने लगी।
- नीरज अपने लुंड मेरे मुह में दाल न। मुझे तेरा लुंड चुसना है। देखूं तो तेरे लुंड का कैसा स्वाद है।
नीरज उठ कर मेरे बूब्स पर बैठ गया और अपना लुंड मेरे मुह में दाल दिया। मैं भी अपना सर आगे पीछे कर उसके लुंड को चूसने लगी।
- और राज कैसी लगी हमारी भाई तुझे। मनीषा से ज़्यादा चुदाक्काद है या काम... नीरज ने राज से पुचा
- नीरज तुझे अभी पता चल जाएगा यार... निधि मनीषा से कम नहीं है.... राज ने जवाब दिया
- हाँ और निधि के बूब्स भी बहुत प्यारे है। मैं तो इनको भी चोदुंगा... नीरज बोला
- जो चाहे कर यार... तेरी भाभी मस्त रांड है... इसको चुदाई दिन रात पसंद है... जैसे चाहे वैसे छोड़ इस रंडी को।
- राज भैय्या क्या मैं कम रंडी हूँ... मनीषा बोली... क्या मैंने आपको कभी कमी आने दी है... मेरी छुट तो हमेशा सबके लिए तैयार रहती है... अभी अभी जीजू ने भी चोदा है और अब वोह दीदी को छोड़ रहे है...
- अरे नहीं मनीषा रानी... तू भी मेरी प्यारी रांड है... बस बिधि अभी नयो नई है.... राज बोला
- मैं मजाक कर रही थी राज ... और आप सीरियस हो गए...
मनीषा ने राज का लुंड से मुह उठा कर मेरी छुट में अपनी जीभ दाल दी...
- वह निधि बहुत गीली छुट है तेरी... अभी तक राज का पानी भरा है इसमे... मजा आगया
मैंने नीरज का लुंड मुह से निकल राज को बोला....
- राज तू अब अपना लुंड मेरे मुह में दाल और नीरज तो मेरी छुट छोड़। मैं भी तो देखूं मेरे देवर का लुंड कैसा है। और मनीषा तू इधर आ मेरे पास और मुझे तेरे बूब्स से खेलना है। वह रानी क्या बूब्स हा तेरे रांड। तभी तुने सबको दीवाना बना रखा है।
- नहीं भाभी सिर्फ़ बूब्स ही नहीं मेरे तो सारे छेदों ने पुरे घर को दीवाना बना दिया है। तू देखना यहाँ सब कैसे सबका ख्याल रखते हैं। तेरी छुट कभी भी खली नहीं रहेगी.... मनीषा बोली।
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